रविवार, 21 जून 2020

रिश्ते औपचारिकता वाले

कभी कभी सोचती हूं कैसे लोगों के बीच रह रहे हैं हम,हर रिश्ता बेमानी है दिल से कोई जुड़ा ही नहीं है बस हर शख्स को नम्बर बनाने है अच्छा दिखाने का नाटक करना है,कैसी दुनिया है यह? यहां अपना कोई है ही नहीं बस दिखावे से भरी हुई दुनिया है यह।
इतनी बड़ी दुनिया में सुशांत सिंह राजपूत का कोई अपना नहीं था जिसके साथ वो अपने दुख सुख बांट सकते? किसी ने भी उनको शायद इतनी जगह अपने जीवन में दी ही नहीं जिसके सामने वह अपने दिल की बात खुल कर बोल सकते,तो क्या और कैसे रिश्ते हैं यह?
बस नाम के रिश्ते ही रह गए हैं क्या?
इस सवाल का जवाब शायद किसी के पास ना हो या कोई खुल कर इस बात पर बात ना करना चाहता हो लेकिन वास्तविकता यह ही है सबकी।
औपचारिकता के रिश्ते रह गए हैं दिल के रिश्ते तो कहीं खो चुके हैं
इस सच्चाई को जितना जल्दी स्वीकार किया जाएगा उतना ही हम सबके लिए फायदे का सौदा होगा क्योंकि झूठी उम्मीद किसी से रखने का मतलब है और बहुत से सुशांत की कहानी को जन्म देना।
        धन्यवाद

रविवार, 25 अगस्त 2019

आओ कुछ बातें कर लें

          नमस्कार प्यारे दोस्तों, कैसे हैं आप सब ?                          मै भी क्या सवाल पूछने लगी ईश्वर है ना सबका ध्यान रखने के लिए तो पूरी उम्मीद है आप सब बहुत अच्छे ही होंगे ,अगर  छोटे मोटे समस्याएं ज़िंदगी  मे हैं तो खत्म हो जाएंगी ,बस आपको एक छोटा सा काम करना है कि हिम्मत नहीं छोड़नी है और अपने पर पूरा यकीन रखना है कि आपके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है आप हर संघर्ष से जीत सकते  हो हर बाधाओं को पार कर  सकते हो। जीवन कठिन है पर बहुत सुंदर भी है और बार बार नहीं मिलता तो क्यों ना इसे मुस्कुरा कर जी लिया जाए।ज़िंदगी से प्यार करना सीखो  ये ख़ुद  ही  तुमको गले से लगा लेगी। अपने आस पास खुशियां बांटो तो फिर देखो एक नया जादू।  हां आज परेशानियां हैं लेकिन रोज़ थोड़े रहनी हैं हर दिन एक सा नहीं रहता सबके दिन बदलते है ये तो उस ऊपर विराजमान ईश्वर की करामात है।                                                                 

जब भी परेशान हो चाहें परेशानी का कारण कोई भी हो ये सोचो आज ऊपर बैठा director हमसे कोई नया episode करवाना चाहता है और खुशीख़ुशी कर लो क्योंकि और कोई चारा ही नहीं हम पर।
ख़ैर ये सब आपके चेहरों पर प्यारी सी मुस्कुराहट लाने का तरीक़ा था और प्रयास भी।
अब आते हैं काम की बात पर मै आपको कुछ टिप्स बता रही हूं शायद आप सब के कुछ काम आ  पाएं जब भी आप परेशान हों तो नीचे लिखी कुछ बातों को ज़रूर करके देखें।


1 मान लेते हैं मैं बहुत परेशान हूं तो मैं आंखें बंद करूं ओर अकेले में सोचूं की मेरी इस समस्या का कारण क्या है फिर सोचूंगी क्या इसका कोई समाधान है अगर है तो खुश हो जाओ और अगर नहीं है तो क्या रो के परेशान हो कर समस्या का समाधान हो सकता है?  नहीं हो सकता

2  अब दूसरा स्टेप आपको क्या करना है मुंह धोना चाहिए जितना संभव हो पानी पीना चाहिए क्योंकि मैं ये ही करती हूं।

3  शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को ध्यापूर्वक देखो ओर सोचो आप कितने कमजोर लग रहे हो। दोस्तों दिमाग़ के घोड़े ज्यादा ना दौड़ाओ मेरे बोलने का मतलब है कि क्या आप इतना तुच्छ समझते अपने आप को की छोटी मोटी समस्याओं के आगे नतमस्तक हो जाओगे।

4  अब मुस्कुराए और ख़ुद से वादा करें कि परेशान नहीं होना है क्योंकि अगर परेशानी का समाधान है तो हो सकता है ओर यदि नहीं है तो ख़ुद परेशान रह कर बाकी के परिवार वालों, दोस्तों को को क्यों अपने कारण परेशान करना दुखीकरना ।

5 अपनी एक नई योजना बनाएं कि आगे अब क्या करना है अगर समस्या किसी ऐसे कारण से उत्पन्न हुई थी तो उस कारण से सबक लें और भविष्य में उसको ना दोहराने का ख़ुद से वादा करे ताकि ऐसी समस्या का सामना पुनः ना करना पड़े।

6 समस्याएं उत्पन्न होने का सबसे बड़ा कारण सीख ना लेना है इसलिए उस परमात्मा का धन्यवाद करे की एक नया अध्याय उसने आपको सिखाया है।

7 अब पुनः कोशिश करो ओर एक बार फिर मुस्कुरा दो ओर मन में ख़ुद के लिए clapping करो की मैं बहुत हिम्मत वाली हु या हिम्मत वाला हूं।

अगर किसी को भी मेरे अनुभव से लाभ हो तो मैं बहुत खुश हो जाउंगी कि एक छोटी सी बात ने किसी के चेहरे पर मुस्कान दुबारा से ला दी।

                  धन्यवाद

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

स्वागत है आपका

       मातृ भूमि का शुभ दिन आया,खुशियां साथ लाया है।                   भारत माता की गोदी में,नवयुग फिर इठलाया है।।                        ३७० के कलंक को शीश से अपने हटाया है,                               तिरंगा भी सालों के बाद,गर्व से आज मुस्कुराया है।                     भारत माता की गोदी में नवयुग फिर इठलाया है।।                        काश्मीर की धरती पर जो आतंकी साया था,                            आज हमारे देश भक्त ने इसका किया सफाया था।।                    १९५२ में जब ३७० आया था,भारत माता का दिल,                                       अत्यधिक घबराया था।                                       कश्मीर की भूमि नेअपना संविधान बनाया था।                         जिसे देख हर भारत वासी मन ही मन पछताया था।।                   दो हिस्सो में बांट दिया था, अपने देश की शान को                       चूर चूर कर दिया था इसने,तिरंगे के सम्मान को।।                        इंतज़ार के सालों बाद,अपने घर को आया है।।                           सिर पर केसरिया पगड़ी को इसने आज सजाया है।।                   भूला बिसरा अब घर लौटा, लेकर एक नई काया को।                  आज तक कोई समझ ना पाया अपने प्रभु की माया को।।              काश्मीर अब और भी सुंदर अपने घर में लगता है,                     हर भारत वासी का सपना सच होता अब दिखता है।।                  कश्मीरकी सुंदर भूमि ने,सुख चैन अब पाया है।                         सही मायने में ये भारत आज स्वतंत्र कहलाया है।।                                          जय हिन्द जय भारत

मंगलवार, 16 जुलाई 2019

देश के नौजवानों को सन्देश

  1.  जाग, उठ ,अब तू खड़ा हो।                                                    नव-युवक अब सिंह बन ।                 ‌‌‌‌‌‌‌                                    नाद कर तू अब वो भीषण।                                                    शत्रु के मन  में हो , कम्पन।।                                                   चिन्ह अपने छोड़ जा तू।

        रुख़ हवा का मोड़ जा तू,                                                      बन अटल किसलय की भांति                                                हर बाधाओं में डटा हो।
        ‌‌         ‌
   ‌‌‌‌     जाग, उठ,अब तू खड़ा हो                                                      शम्भु का तिरशूल बन कर,                                                ‌‌‌     शत्रु का तू कर दमन                                                            राष्ट्र को गौरवान्वित करा      ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌                                                  वो करे तुझको नमन


                                  
        अपनी राह तू खुद बना,                                                         तन में तेरे ओज हो।।                                                     ‌       उत्कर्ष   तेरे सिर झुकाऐ                                                 ‌       द्वार तेरे यूं खड़ा हो।
          जाग,उठ अब तू खड़ा हो।                                                      भारती की वीणा बन तू। 
          भास्कर की बन की चमक।।                                                  काज़ कर ले कुछ तू ऐसा।                                                      सृष्टि में भी हो धमक।।                                                          रक्त में वो तेज़ तेरे।                                                              शील तेरा शुद्ध हो।।                                                              स्वयं को बना   इस तू काब़िल।                                      ‌‌‌  ‌‌‌‌‌‌        राष्ट्र करे ,कर जोड़ अपने ।                                                       वीर तुमको यूं नमन।।                                   ‌ ‌                                
                                      धन्यवाद

बुधवार, 10 जुलाई 2019

khushi

aaj subha uthte hi ek khaayal aaya ..hath me news paper uthaya ek cup chaye ka lekar aangan me baith gai or socha ki roz hum uthte hai denik dincharya krte hai or usi bhagam bhag wali duniya me gum ho jate h. ...humare aane ka duniya me kya maksad hai....aankhe band ki ,dhyan lgaya, or thana ki aaj se roz ek acha kam krna hai ,bada na sahi chhota theek par kisi ke chehre par muskurahat lani h ...bas itna sochna hi tha ki kya mehsoos krti hun me khud hi man hi man muskura rhi hu.....huaa na jaadu..q na hum ye kam aaj se shuru kaar de or jivan ki vastvik khushi ka aanand le.....jab kalpna me itni shakti hai ki bin kuch kiye muskurahat chehre par aa skti h...to socho haqiqat me kitni khushi dega ye ek acha kaam....😇😇

रिश्ते औपचारिकता वाले

कभी कभी सोचती हूं कैसे लोगों के बीच रह रहे हैं हम,हर रिश्ता बेमानी है दिल से कोई जुड़ा ही नहीं है बस हर शख्स को नम्बर बनाने है अच्छा दिखाने...